पिछले साल देश के कई हिस्सों में पड़े सूखे और इस साल मार्च में हुई बेमौसम बारिश के बाद अब किसानों के लिए एक बुरी खबर और है। मौसम विभाग ने लगातार दूसरे साल भी मानसून के सामान्य से कम रहने की आशंका जाहिर की है। बारिश कम होने से कृषि बहुल उत्तर पश्चिमी राज्यों और मध्य भारत पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है, क्योंकि देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा इन हिस्सों में वर्षा वैसे ही कम होती है।
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी तथा अर्थ साइंस मंत्री डा. हर्षवर्धन ने जून-सितंबर के चार महीनों के दौरान होने वाली मानसूनी बारिश के लिए बुधवार को पूर्वानुमान जारी किया। इसके तहत इन चार महीनों में सामान्य के 93 फीसदी बारिश होने की संभावना है। पिछले कई दशकों के आंकड़ों के अनुसार चार महीनों में सामान्य बारिश 890 मिमी होती है लेकिन इस बार यह 827 मिमी तक ही सीमित रह सकती है।
हषवर्धन और मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह सामान्य से कम बारिश है। इसे सूखा पड़ने जैसी स्थिति नहीं कही जा सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि इस पूर्वानुमान से कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत करा दिया गया है ताकि भावी स्थितियों से निपटने के लिए तैयारी की जा सके।
मौसम विभाग द्वारा तैयार पूर्वानुमान के तहत विभिन्न माडलों का इस्तेमाल करते हुए बारिश के सामान्य से 93 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है। इसमें माडलीय त्रुटि पांच अंकों की हो सकती है। जिसका मतलब हुआ कि बारिश सामान्य के 88 फीसदी तक भी रह सकती है या 98 फीसदी तक भी हो सकती है।
पूर्वानुमान को एक और बेहतर तरीके से इस प्रकार समझ सकते हैं। बारिश के सामान्य से कम रहने की जो संभावना है वह 68 फीसदी तक है। जबकि सामान्य होने की संभावना महज 28 फीसदी है। सामान्य से अधिक होने की संभावना महज चार फीसदी है। इसलिए जो अंतिम नतीजा निकलता है, वह यही है कि बारिश सामान्य से कम ही होगी।
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी तथा अर्थ साइंस मंत्री डा. हर्षवर्धन ने जून-सितंबर के चार महीनों के दौरान होने वाली मानसूनी बारिश के लिए बुधवार को पूर्वानुमान जारी किया। इसके तहत इन चार महीनों में सामान्य के 93 फीसदी बारिश होने की संभावना है। पिछले कई दशकों के आंकड़ों के अनुसार चार महीनों में सामान्य बारिश 890 मिमी होती है लेकिन इस बार यह 827 मिमी तक ही सीमित रह सकती है।
हषवर्धन और मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह सामान्य से कम बारिश है। इसे सूखा पड़ने जैसी स्थिति नहीं कही जा सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि इस पूर्वानुमान से कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत करा दिया गया है ताकि भावी स्थितियों से निपटने के लिए तैयारी की जा सके।
मौसम विभाग द्वारा तैयार पूर्वानुमान के तहत विभिन्न माडलों का इस्तेमाल करते हुए बारिश के सामान्य से 93 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है। इसमें माडलीय त्रुटि पांच अंकों की हो सकती है। जिसका मतलब हुआ कि बारिश सामान्य के 88 फीसदी तक भी रह सकती है या 98 फीसदी तक भी हो सकती है।
पूर्वानुमान को एक और बेहतर तरीके से इस प्रकार समझ सकते हैं। बारिश के सामान्य से कम रहने की जो संभावना है वह 68 फीसदी तक है। जबकि सामान्य होने की संभावना महज 28 फीसदी है। सामान्य से अधिक होने की संभावना महज चार फीसदी है। इसलिए जो अंतिम नतीजा निकलता है, वह यही है कि बारिश सामान्य से कम ही होगी।
No comments:
Post a Comment